President and Prime Minister decided not to celebrate Holi due to Coronavirus – Coronavirus का असर: राष्ट्रपति भवन में नहीं मनाया जाएगा होली मिलन समारोह
नई दिल्ली :
भारत में कोरोना वायरस को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है. सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं. लेकिन देश में अब तक कोरोना वायरस से 28 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, इनमें 16 विदेश और 12 भारतीय शामिल हैं. इधर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक होली समारोहों का आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है. राष्ट्रपति भवन से जारी बयान से अनुसार राष्ट्रपति ने कहा है कि सतर्कता और सुरक्षा उपायों के साथ, हम सभी कोविड-19 नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने में मदद कर सकते हैं.
President Ram Nath Kovind: With alertness and safeguards, we all can help contain the outbreak of COVID-19 Novel #Coronavirus. In a precautionary measure, the Rashtrapati Bhavan will not hold the traditional Holi gatherings. pic.twitter.com/7mFQ8DoSiI
— ANI (@ANI) March 4, 2020
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के संबंध में विशेषज्ञों की सलाह को ध्यान में रखते हुए वह इस बार किसी होली मिलन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे. प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘दुनिया भर में विशेषज्ञों की सलाह है कि नोवेल कोरोना वायरस कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक कार्यक्रमों को कम करना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिये इस वर्ष मैंने किसी होली मिलन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया है.’
Experts across the world have advised to reduce mass gatherings to avoid the spread of COVID-19 Novel Coronavirus. Hence, this year I have decided not to participate in any Holi Milan programme.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2020
टिप्पणियां
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसबार होली नहीं मनाने का निर्णय लिया है. उनकी तरफ से कहा गया है कि वो और उनके सभी विधायक इस बार होली नहीं मनाएंगे. अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण वे और उनके विधायक इस बार होली नहीं मनाएंगे. संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे. हिंसा के बाद दिल्ली सरकार की तरफ से पीड़ित परिवार को मुआवजे की भी घोषणा की गई है.
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