अब कोविड 19 से संक्रमित बच्चों में भी नजर आने लगे हैं गंभीर लक्षण, चीन के डॉक्टर ने कहा- पैरेंट्स डर के कारण बच्चों को अस्पताल नहीं ला रहे


  • अमेरिका में पिछले हफ्ते मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री डिसीज के चलते तीन बच्चों की मौत हुई है
  • इससे पहले कोविड 19 से जूझ रहे बच्चों में व्यसकों की तुलना में मामूली लक्षण नजर आ रहे थे

दैनिक भास्कर

May 19, 2020, 07:36 PM IST

पैरी क्लास. कोरोनावायरस का असर बड़ों की तुलना में बच्चों पर कम पड़ा है। लेकिन एक नई शोध हमारी सोच को एक बार फिर बदल सकती है। अब तक इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को एक समूह के तौर पर अलग रखा गया था, लेकिन हाल ही में मिले सबूतों में पता चला है कि, कुछ बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं। हालांकि हम यह जानने की शुरुआत कर रहे हैं कि, कौन सबसे ज्यादा खतरे में है और पैरेंट्स को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

बीते हफ्ते आईं रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क सिटी समेत कई दूसरे इलाकों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री डिसीज के चलते भर्ती कराया गया था। इस बीमारी के कारण तीन की मौत भी हुई थी। इसके साथ ही एक नई रिसर्च में बच्चों में वायरस के व्यवहार को समझाया गया था, जो कि बड़ों से अलग था।

नॉनरेस्पिरेट्री संप्टम्स थे, लेकिन बाद में कोविड 19 निकला
मंगलवार को फ्रंटियर्स इन पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुई क्लीनिकल रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में पांच बच्चों को नॉनरेस्पिरेट्री लक्षणों के बाद भर्ती कराया गया था। बाद में फेंफड़ों में कुछ परेशानी के बाद यह कोविड निकला। वुहान के टोंगजी हॉस्पिटल में चीफ पीडियाट्रीशियन डॉक्टर वेंबिन ली ने बताया कि, हमारी रिपोर्ट में पांच में से चार मरीजों को बुखार और खांसी थी। पहली बार में पांच में से चार मामलों में पाचन से जुड़े लक्षण सामने आए। 

पैरेंट्स के डर भी है एक कारण
डॉक्टर ली ने लिखा कि, कोविड 19 के फैलने के बाद पीडियाट्रिक एमरजेंसी डिपार्टमेंट में आने वालों में कमी हुई है। इसका कारण है माता-पिता का डर। पैरेंट्स अपने बीमार बच्चों को अस्पताल लाने में डर रहे हैं, जिसके कारण परेशानियां ज्यादा बढ़ रही हैं। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन और हसेनफेल्ड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में बाल चिकित्सा संक्रामक रोगों के निदेशक डॉक्टर एडम रैटनर के मुताबिक, बच्चों को कोविड 19 नहीं होता या उन्हें केवल मामूली लक्षण होते हैं, यह आइडिया सरलीकरण है। यह सच है कि यहां बच्चों में कोरोना के मामले कम पाए गए हैं और मृत्यु दर भी बड़ों की तुलना में कम है, लेकिन हमने कई गंभीर रूप से बीमार बच्चे भी देखे हैं।

नवजात बच्चों में बीमारी के मामले
कुछ मामले सामने आए जहां नवजात बच्चे बीमार थे। अप्रैल के अंत में जामा ने एक मामला रिपोर्ट किया जहां, एक महिला के प्लेसेंटा से वायरस को अलग किया गया था। यह महिला दूसरी तिमाही में गर्भपात का सामना कर रही थी। स्वित्जरलैंड के लुसाने यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर डेविड बॉड बताते हैं कि, प्लेसेंटा में वायरस का ब्लडस्ट्रीम के जरिए आता है। डॉक्टर के मुताबिक, सार्स और मर्स के वक्त संक्रमित महिलाओं में कम वजन वाले बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक थी। 

डॉक्टर रैटनर ने बताया कि, “उन्होंने कई संक्रमित बच्चों की देखभाल की है। इनमें से ज्यादातर मामूली रूप से बीमार थे। लेकिन इन्हें गहन देखभाल वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत थी”। कुछ बच्चें गंभीर रूप से बीमार होते हैं, लेकिन प्रीस्कूल और स्कूल जाने वाले बच्चों में कोविड 19 मामूली स्तर पर रहता है। इम्युनोडिफीशिएंसी और कीमोथैरेपी वाले बच्चे गंभीर बीमारी के जोखिम में होते हैं। इनमें से कई लक्षण कावासाकी बीमारी की तरह होते हैं। 

बॉस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में कावासाकी प्रोग्राम के निदेशक डॉक्टर जेन न्यूबर्गर ने कहा कि, “हम एक सिंड्रोम की लहर को देख रहे हैं, जिसमें शॉक और गंभीर सूजन शामिल है”। शॉक का मतलब जब शरीर के किसी अंग को पर्याप्त खून नहीं मिल रहा। इनमें से कुछ बच्चों का दिल कमजोर था। कावासाकी बीमारी का पता लगाने वाली कोई लैब नहीं है और इसका कारण भी ज्ञात नहीं है। 

डॉक्टर मोशे आर्दिती कावासाकी बीमारी पर 30 से काम कर रहे हैं। डॉक्टर मोशे बताते हैं कि, खासकर लंदन और न्यूयॉर्क में मिले मामले कोविड 19 के संपर्क में आए बच्चों में कावासाकी बीमारी को रिप्रिजेंट करते हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि, दोनों के बीच लिंक क्या है। कावासाकी लगने वाली बीमारी से जूझ रहे बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर फिलिप काह्न के अनुसार, कावासाकी बीमारी से पीड़ित ज्यादातर बच्चे बेहतर हैं, बगैर किसी लंबे समय की परेशानी के। डॉक्टर काह्न बताते हैं कि, यह बचपन में एकबार होने वाली बीमारी है। 

अगर आपको लगता है कि बच्चा ज्यादा बीमार है तो तुरंत अस्पताल पहुंचें
डॉक्टर न्यूबर्गर ने कहा कि, बड़ों की तुलना में बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना कम है। लेकिन अगर माता-पिता को लगता है कि, बच्चा ज्यादा बीमार है तो तुरंत डॉक्टर से बात करें और अस्पताल पहुंचें। डॉक्टर रैटनर बताते हैं कि, यह बीमारी अब भी हमारे लिए नई है। हम अब भी कई चीजों को पहली बार देख रहे हैं।



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