दो भारतीय कंपनियां कोरोना इलाज में मददगार रेमडेसिविर बना सकेंगी, यह दवा संक्रमितों में महज पांच दिन में असर दिखाती है


  • सिपला और जुबिलैंट इस रेमडेसिविर का उत्पादन कर सकेंगे और भारत समेत दुनिया के 127 देशों में इसे बेच सकेंगी
  • रेमडेसिविर दवा को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एफडीए) ने  कोरोना मरीजों पर इस्तेमाल की मंजूरी दी है

दैनिक भास्कर

May 13, 2020, 12:23 PM IST

नई दिल्ली. जल्द ही दो भारतीय फार्मा कंपनी भी कोरोना के इलाज में मददगार रेमडेसिविर दवा बेचेगी। सिपला और जुबिलैंट लाइफ साइंसेज ने रेमडेसिविर बेचने के लिए अमेरिकी दवा कंपनी के साथ लाइसेंसिंग एग्रिमेंट किया है। इसके बाद दोनों कंपनिया भारत समेत दुनिया के 127 देशों में यह दवा बेच सकेंगी। दोनों भारतीय कंपनियां इस दवा का उत्पादन करने के साथ ही अपने ब्रांड नाम का इस्तेमाल भी कर सकेंगी। 
रेमडेसिविर दवा ने अपना क्लीनिकल ट्रायल इसी महीने पूरा किया है। इसके बाद अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन(एफडीए) ने इसे कोरोना मरीजों पर इस्तेमाल की मंजूरी दी है।

सिपला और जुबिलिएंट लाइफ सांइसेस दोनों ने ही अमेरिकी कंपनी से करार होने की पुष्टि है। रेमडेसिविर एक जेनेरिक दवा है, ऐसे में इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं है। हालांकि दोनों कंपनियों को पेटेंट रखने वाली अमेरिकी कंपनी को तय रकम देना होगा।
रेमडेसिविर के इस्तेमाल से कम होते हैं साइड इफेक्ट
रेमेडेसिविर के इस्तेमाल पर कोरोना संक्रमितों में जल्द सुधार देखने को मिला है। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी इस दवा को संक्रमितों के इलाज में कारगर बताया है। इस दवा के इस्तेमाल से साइड इफेक्ट कम होते हैं। मौजूदा समय में भारत संक्रमितों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल कर रहा है। इस दवा के कई साइड इफेक्ट हैं। डायबटीज और बीपी जैसी बीमारी वाले मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने से उनमें दूसरी स्वास्थ्य समस्या पैदा होने का डर रहता है।

क्लीनिकल ट्रायल में 50 फीसदी मरीजों को हुआ फायदा

अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेस के मुताबिकआम तौर पर कोरोना मरीजों में 10 दिन के इलाज के बाद सुधार देखने को मिलता है। हालांकि, रेमडेसिवीर के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान 5 दिन तक इस दवा कोर्स लेने वाले रोगियों की स्थिति में सुधार पाया गया। मरीजों में से 50 फीसदी मरीजों की हालत में रेमडेसिवीर की वजह सुधार देखा गया। यह दवा किसी टेबलेट फॉर्म में नहीं बल्कि लिक्विड फॉर्म में होती है, जिसे नसों के जरिए मरीज के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है।



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