बुजुर्गों को बचाने की तैयारी: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी संक्रमितों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक्स का ट्रायल करेगी


  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का लक्ष्य- कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मामलों को अधिक गंभीर होने से रोकना है

  • शोधकर्ताओं के मुताबिक, ट्रायल का पहला चरण 7 दिन का होगा जिसमें हाई रिस्क वाले बुजुर्ग शामिल होंगे

दैनिक भास्कर

May 13, 2020, 04:29 PM IST

सितम्बर तक कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा करने वाली ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक नई रिसर्च शुरू की है। रिसर्च का लक्ष्य हल्के लक्षण वाले मामलों को ज्यादा गंभीर होने से रोकना है। इसके अलावा 65 साल से अधिक उम्र के ऐसे संक्रमितों को बचाना भी है, जो पहले डायबिटीज और अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं और हाई रिस्क जोन में हैं। कोरोना से पीड़ित बुजुर्गों पर होने वाली यह अपनी तरह की पहली ऐसी रिसर्च है।

उम्रदराज मरीजों पर जल्द शुरू होगा ट्रायल
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च के दौरान एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाएगा। ये कोरोना से पीड़ित ऐसे मरीजों को दी जाएंगी जिनकी उम्र या तो 65 साल से अधिक हो या 50-64 के बीच हो और वह किसी बीमारी से पहले ही जूझ रहे हों। रिसर्च के लिए ब्रिटेन के 500 से अधिक डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है।

ऐसा होगा पहला ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, यह ट्रायल कोरोना पीड़ितों का प्राइमरी केयर ट्रीटमेंट की तरह है। ट्रायल के पहले चरण में 7 दिन तक हाई रिस्क वाले समूह को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी जाएगी, ताकि लक्षणों को अधिक गंभीर होने से रोका जा सके। इसी दौरान एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का ट्रायल भी होगा। ऐसे मरीज जिनमें लगातार खांसी और शरीर का अधिक तापमान दिखेगा, उन्हें यह दवा दी जाएगी। 

ड्रग के नतीजों के आधार पर सब तय होगा
शोधकर्ता क्रिस बटलर के मुताबिक, ट्रायल में शामिल ड्रग का मरीजों पर क्या असर दिख रहा है, उसी नतीजों के आधार पर दवाओं को क्लीनिकल प्रैक्टिस का आधार बनाया जाएगा। उम्मीद है जल्द ही यह इलाज का हिस्सा बनेंगी। 

100 से अधिक वैक्सीन और टेस्टिंग प्रोग्राम शुरू किए
शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में 100 से अधिक टेस्टिंग और वैक्सीन प्रोग्राम शुरू किए हैं। इस बीच गिलीड साइंसेज की रेमडेसिवीर ड्रग का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर पीड़ितों पर किया रहा है। इस दवा को पहले इबोला का इलाज करने के लिए विकसित किया गया था लेकिन कोरोना के मरीजों पर बेहतर परिणाम दिखने पर संक्रमितों को बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

अमेरिका में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल जारी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को गेम चेंजर बताया था, इसके बाद देशभर में इस दवा का इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर किया गया। ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही और ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है उन्हें यह दवा इमरजेंसी ड्रग के रूप में दी जा रही है।



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